मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – शहादत थी मेरी क़िस्मत में

शहादत थी मेरी क़िस्मत में जो दी थी ये ख़ू मुझ को
जहाँ तलवार को देखा झुका देता था गर्दन को – मिर्ज़ा ग़ालिब