Hindi Shayari – मुकम्मल इश्क़ की तलबगार नहीं है

मुकम्मल इश्क़ की तलबगार नहीं है आंखे

थोड़ा_थोड़ा ही सही रोज तेरे दीदार की चाहत है

Hindi Shayari – जाने कौन सी भाषा बोलती हैं

जाने  कौन सी भाषा बोलती हैं  उसकी

आँखे  हर  लफ्ज़  कलेजे में  उतर जाता है.