मुकम्मल इश्क़ की तलबगार नहीं है आंखे
थोड़ा_थोड़ा ही सही रोज तेरे दीदार की चाहत है
मुकम्मल इश्क़ की तलबगार नहीं है आंखे
थोड़ा_थोड़ा ही सही रोज तेरे दीदार की चाहत है
एहसास करा देती है रूह, जिनकी बातें नहीं होती..!!
इश्क वो भी करते है जिनकी, मुलाकातें नहीं होती….!!!!
बयां…. से परे है तेरे
खयाल का सुकूं…..
जाने कौन सी भाषा बोलती हैं उसकी
आँखे हर लफ्ज़ कलेजे में उतर जाता है.
कैसे कहें कि हमारा तुमसे कोई रिश्ता नहीं…
आज भी तुम्हारे नाम से हमारी साँसे महक उठती हैं..!!
दिल में सबको पाने का अरमान नहीं होता ।
हर कौइ दिल का मेहमान नहीं होता ।।
जो बन जाता है एक बार अपना ।
फिर उसके बिना रहना आसान नहीं होता ।।
तुम्हारे पास आते हैं तो साँसें भीग जाती हैं
मोहब्बत इतनी मिलती है कि आँखें भीग जाती हैं ।