हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो ग़म मिलते हैं ।
हम इसी वास्ते हर शख्स से कम मिलते हैं ।
हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो ग़म मिलते हैं ।
हम इसी वास्ते हर शख्स से कम मिलते हैं ।
इसलिए खामोश रह के उम्र पूरी काट दी…
ज़िन्दगी तुझसे बहस का फायदा कोई नहीं…
रात भर की उदासियों के बाद,
ये भी एक हुनर ही मानो,
कि हम,
हर सुबह एक बार फिर से जिंदगी सँवार लेते हैं …!
ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं !
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं…
समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया,
इतने घुटने टेके हमने आख़िर घुटना टूट गया…
सिमटते जा रहें हैं दिल और ज़ज्बात के रिश्ते…..
सौदा करने मे जो माहिर है, बस वही धनवान है…..!!!
सूरज ढला तो कद से ऊँचे हो गए साये,
कभी पैरों से रौंदी थी, यहीं परछाइयां हमने..
क्यों घबराता है पगले दुःख होने से,
जीवन तो प्रारम्भ ही हुआ है रोने से।
डूबे हुओं को हमने बिठाया था और फिर
कश्ती का बोझ कहकर उतारा हमें गया !!!”
बदला हुआ वक़्त है, ज़ालिम ज़माना है..
यहां मतलबी रिश्ते है, फिर भी निभाना है..!