अहमद फ़राज़ शायरी – कुछ इस तरह से गुज़ारी

कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसे
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा – अहमद फ़राज़

अहमद फ़राज़ शायरी – अब तो ये आरज़ू है

अब तो ये आरज़ू है कि वो ज़ख़्म खाइए
ता-ज़िंदगी ये दिल न कोई आरज़ू करे – अहमद फ़राज़

अहमद फ़राज़ शायरी – वो ख़ार ख़ार है शाख़-ए-गुलाब

वो ख़ार ख़ार है शाख़-ए-गुलाब की मानिंद
मैं ज़ख़्म ज़ख़्म हूँ फिर भी गले लगाऊँ उसे – अहमद फ़राज़

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नक़्श लायलपुरी शायरी – सींचा था जिस को ख़ूने

सींचा था जिस को ख़ूने तमन्ना से रात दिन
गुलशन में उस बहार के हक़दार हम नहीं – नक़्श लायलपुरी

नक़्श लायलपुरी शायरी – बैठा हूँ मैं तनहाई को

बैठा हूँ मैं तनहाई को सीने से लगा के
इस हाल में जीना तो मुझे रास नहीं था – नक़्श लायलपुरी