कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसे
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा – अहमद फ़राज़
Tag: prasidh shayaron ki shayari
अहमद फ़राज़ शायरी – चला था ज़िक्र ज़माने की
चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का
सो आ गया है तुम्हारा ख़याल वैसे ही – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – न मंज़िलों को न हम
न मंज़िलों को न हम रहगुज़र को देखते हैं
अजब सफ़र है कि बस हम-सफ़र को देखते हैं – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – अब तो ये आरज़ू है
अब तो ये आरज़ू है कि वो ज़ख़्म खाइए
ता-ज़िंदगी ये दिल न कोई आरज़ू करे – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – ज़िंदगी से यही गिला है
ज़िंदगी से यही गिला है मुझे
तू बहुत देर से मिला है मुझे! – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – वो ख़ार ख़ार है शाख़-ए-गुलाब
वो ख़ार ख़ार है शाख़-ए-गुलाब की मानिंद
मैं ज़ख़्म ज़ख़्म हूँ फिर भी गले लगाऊँ उसे – अहमद फ़राज़
Bal Diwas Shayari, Children Day Par Shayari, Children Day Shayari, Bal Diwas Par Shayari, 14 November Par Shayari
नक़्श लायलपुरी शायरी – सींचा था जिस को ख़ूने
सींचा था जिस को ख़ूने तमन्ना से रात दिन
गुलशन में उस बहार के हक़दार हम नहीं – नक़्श लायलपुरी
नक़्श लायलपुरी शायरी – नाम होंटों पे तिरा आए
नाम होंटों पे तिरा आए तो राहत सी मिले
तू तसल्ली है दिलासा है दुआ है क्या है – नक़्श लायलपुरी
नक़्श लायलपुरी शायरी – बैठा हूँ मैं तनहाई को
बैठा हूँ मैं तनहाई को सीने से लगा के
इस हाल में जीना तो मुझे रास नहीं था – नक़्श लायलपुरी
नक़्श लायलपुरी शायरी – बड़ा अजीब है अफ़साना-ए-मुहब्बत भी
बड़ा अजीब है अफ़साना-ए-मुहब्बत भी
ज़बाँ से क्या ये निगाहों से भी कहा न गया – नक़्श लायलपुरी