अहमद फ़राज़ शायरी – कुछ इस तरह से गुज़ारी

कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसे
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा – अहमद फ़राज़

अहमद फ़राज़ शायरी – अब तो ये आरज़ू है

अब तो ये आरज़ू है कि वो ज़ख़्म खाइए
ता-ज़िंदगी ये दिल न कोई आरज़ू करे – अहमद फ़राज़

अल्लामा इक़बाल शायरी – न तू ज़मीं के लिए

न तू ज़मीं के लिए है, न आसमाँ के लिए..
जहाँ है तेरे लिए, तू नहीं जहाँ के लिए.! – अल्लामा इक़बाल

Allama Iqbal Shayari Urdu