अहमद फ़राज़ शायरी – दिल के रिश्तों कि नज़ाक़त

दिल के रिश्तों कि नज़ाक़त वो क्या जाने ‘फ़राज़’,
नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती हैं चोटें अक्सर!! – अहमद फ़राज़