
Jaun Elia Poetry | Jaun Elia Shayari | John Elia Best Poetry
शायद मुझे किसी से मोहब्बत नहीं हुई
लेकिन यक़ीन सब को दिलाता रहा हूँ मैं
एक ही तो हवस रही है हमें
अपनी हालत तबाह की जाए।
शर्म, दहशत, झिझक, परेशानी
नाज़ से काम क्यों नहीं लेती
आप, वह, जी, मगर ये सब क्या है
तुम मिरा नाम क्यों नहीं लेती।
इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने।