भुलाता लाख हूँ लेकिन बराबर याद आते हैं
इलाही तर्के-उल्फ़त पर वो क्योंकर याद आते हैं – हसरत मोहानी
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हसरत मोहानी शायरी – न असर आह में कुछ
न असर आह में कुछ है न दुआ में तासीर
तीर हम जितने चलाते हैं ख़ता होते हैं – हसरत मोहानी
हसरत मोहानी शायरी – एक तुम हो कि वफा
एक तुम हो कि वफा तुमसे न होगी, न हुई,
एक हम कि तकाजा न किया है, न करेंगे….!! – हसरत मोहानी
हसरत मोहानी शायरी – दावा-ए-आशिक़ी है तो ‘हसरत’ करो
दावा-ए-आशिक़ी है तो ‘हसरत’ करो निबाह
ये क्या के इब्तिदा ही में घबरा के रह गए – हसरत मोहानी
हसरत मोहानी शायरी – हम क्या करें अगर न
हम क्या करें अगर न तिरी आरज़ू करें
दुनिया में और भी कोई तेरे सिवा है क्या – हसरत मोहानी