मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – रहिए अब ऐसी जगह के

रहिए अब ऐसी जगह के जहां कोई न हो,
हम सुखन कोई न हो और हम ज़बां कोई न हो. – मिर्ज़ा ग़ालिब