मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त

इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया – मिर्ज़ा ग़ालिब