मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – दिल ही तो है न

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ
रोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ – मिर्ज़ा ग़ालिब