मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – और बाज़ार से ले आए

और बाज़ार से ले आए अगर टूट गया
साग़र-ए-जम से मिरा जाम-ए-सिफ़ाल अच्छा है – मिर्ज़ा ग़ालिब