अगर तुम हो तो घबराने की कोई बात थोड़ी है
ज़रा सी बूँदाबाँदी है, बहुत बरसात थोड़ी है
ये राह-ए-इश्क़ है इसमें कदम ऐसे ही उठते है
मोहोब्बत सोचने वालों के बस की बात थोड़ी है
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Abrar Kashif Shayari
मंज़िलों का कौन जाने रहगुज़र अच्छी नहीं
उसकी आँखें ख़ूबसूरत है नज़र अच्छी नहीं
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Abrar Kashif Shayari
अब तो लगता है कि आ जायेगी बारी मेरी
किसने दे दी तेरी आँखों को सुपारी मेरी
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Abrar Kashif Shayari
दिन में मिल लेते कहीं रात ज़रूरी थी क्या?
बेनतीजा ये मुलाक़ात ज़रूरी थी क्या
मुझसे कहते तो मैं आँखों में बुला लेता तुम्हें
भीगने के लिए बरसात ज़रूरी थी क्या
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Abrar Kashif Shayari
घर की तक़सीम में अंगनाई गवा बैठे है
फूल गुलशन से शिनसाई गवा बैठे है
बात आँखों से समझ लेने का दावा मत कर
हम इसी शौक में बीनाई गवा बैठे है
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Abrar Kashif Shayari
हर इक लफ़्ज़ के तेवर ही कुछ और होते है
तेरे नगर के सुखनवर ही कुछ और होते है
तुम्हारी आँखों में वो बात ही नहीं है ऐ दोस्त
डुबोने वाले समंदर ही और होते है
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Abrar Kashif Shayari
मेरा अरमान मेरी ख्वाहिश नहीं है
ये दुनिया मेरी फ़रमाहिश नहीं है
मैं तेरे ख्वाब वापस कर रहा हूँ
मेरी आँखों में गुंजाइश नहीं है
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Abrar Kashif Shayari
आवारगी के सारे हवालों को खुला छोड़
सेहरा की याद पाँव की छालों को खुला छोड़
करती है तो करने दे हवाओं को शरारत
मौसम का तकाज़ा है कि बालों को खुला छोड़
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Abrar Kashif Poetry
तू अपनी चिठियों में ‘मीर’ के अशआर लिखती है
मोहब्बत के बिना है ज़िन्दगी बेकार लिखती है
तेरे ख़त तो इबारत हैं वफ़ादारी की क़समों से
जिन्हें मैं पढ़ते डरता हूँ वही हर बार लिखती है
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Abrar Kashif Poetry
तू पैरोकार लैला की है शिरीन की पुजारन है
मगर तू जिसपे बैठी है वो सोने का सिंहासन है
तेरी पलकों के मस्कारे, तेरे होठों की ये लाली
ये तेरे रेश्मी कपड़े ये तेरे कान की बाली
गले का ये चमकता हार, हाथों के तेरे कंगन
ये सब के सब है मेरे दिल मेरे एहसास के दुश्मन
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Abrar Kashif Poetry
इनके सामने कुछ भी नहीं है प्यार की कीमत
वफ़ा का मोल क्या, क्या है ऐतबार की क़ीमत
शकस्ता कश्तियों टूटी हुई पतवार की क़ीमत
है मेरी जीत से बढ़कर तो तेरी हार की कीमत
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Abrar Kashif Poetry
हकीकत खून के आंसू तुझे रुलवायेगी जाना
तू अपने फैसले पर बाद में पछ्तायेगी जाना
मेरे काँधे पर छोटे भाइयों की ज़िम्मेदारी है
मेरे माँ बाप बूढ़े है बेहन भी तो कंवारी है
बहे न मौसमों के वार को तू सेह न पायेगी
हवेली छोड़ कर तू इक झोपड़ी में रह ना पायेगी
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Abrar Kashif Poetry
अमीरी तेरी मेरी मुफलिसी को छल नहीं सकती
तू नंगे पाँव तो कालीन पर चल नहीं सकती
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Abrar Kashif Poetry
अपने दिल में बसाओगे हमको
और गले से लगाओगे हमको
हम नहीं इतने प्यार के काबिल
तुम तो पागल बनाओगे हमको
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Abrar Kashif Poetry
दिल को तेरी ख्वाहिश पहली बार हुई
इस सेहरा में बारिश पहली बार हुई
मांगने वाले हीरे मोती मांगते है
अश्कों की फ़रमाहिश पहली बार हुई
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Abrar Kashif Shayari In Hindi
तरीके और भी है इस तरह परखा नहीं जाता
चरागों को हवा के सामने रखा नहीं जाता
मोहोब्बत फैसला करती है पहले चंद लम्हों में
जहा इश्क़ होता है वहां सोचा नहीं जाता
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Abrar Kashif Ghazal In Hindi
वो तो अच्छा है ग़ज़ल तेरा सहारा है मुझे
वर्ना फ़िक्रों ने तो बस घेर के मारा है मुझे
जिसकी तस्वीर, मैं कागज़ पे बना भी न सका
उसने मेहँदी से हथेली पे उतारा है मुझे
ग़ैर के हाथों से मरहम मुझे मंजूर नहीं
तुम मगर ज़ख्म भी दे दो तो गवारा है मुझे
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