बारिश की बहुत तेज़ हवा में कहीं मुझ को
दरपेश था इक मरहला जलने की तरह का – ज़फ़र इक़बाल
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ज़फ़र इक़बाल शायरी – सब को मालूम है और
सब को मालूम है और हौसला रखता हूँ अभी
अपने लिक्खे हुए को ख़ुद ही मिटा देने का – ज़फ़र इक़बाल
ज़फ़र इक़बाल शायरी – न था ज़ियादा कुछ एहसास
न था ज़ियादा कुछ एहसास जिस के होने का
चला गया है तो उस की कमी बहुत आई – ज़फ़र इक़बाल
ज़फ़र इक़बाल शायरी – विदा करती है रोज़ाना ज़िंदगी
विदा करती है रोज़ाना ज़िंदगी मुझ को
मैं रोज़ मौत के मंजधार से निकलता हूँ – ज़फ़र इक़बाल
ज़फ़र इक़बाल शायरी – ज़ियादा नाज़ अब क्या कीजिए
ज़ियादा नाज़ अब क्या कीजिए जोश-ए-जवानी पर
कि ये तूफ़ाँ भी रफ़्ता रफ़्ता साहिल होने वाला है – ज़फ़र इक़बाल
ज़फ़र इक़बाल शायरी – ये क्या कम है कि
ये क्या कम है कि हम हैं तो सही फ़हरिस्त में उस की
भले ना-शाद रक्खा है कि हम को शाद रक्खा है – ज़फ़र इक़बाल
ज़फ़र इक़बाल शायरी – जारी है रौशनी का सफ़र
जारी है रौशनी का सफ़र दूर दूर तक
क्या खेल कोई खेल रहा है ख़लाओं में – ज़फ़र इक़बाल
ज़फ़र इक़बाल शायरी – मुस्कुराते हुए मिलता हूँ किसी
मुस्कुराते हुए मिलता हूँ किसी से जो ‘ज़फ़र’
साफ़ पहचान लिया जाता हूँ रोया हुआ मैं – ज़फ़र इक़बाल
ज़फ़र इक़बाल शायरी – वो सूरत देख ली हम
वो सूरत देख ली हम ने तो फिर कुछ भी न देखा
अभी वर्ना पड़ी थी एक दुनिया देखने को – ज़फ़र इक़बाल
ज़फ़र इक़बाल शायरी – झूट बोला है तो क़ाएम
झूट बोला है तो क़ाएम भी रहो उस पर ‘ज़फ़र’
आदमी को साहब-ए-किरदार होना चाहिए – ज़फ़र इक़बाल