नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है
ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे – शकील बदायुनी
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शकील बदायुनी शायरी – लम्हे उदास उदास फ़ज़ाएँ घुटी
लम्हे उदास उदास फ़ज़ाएँ घुटी घुटी
दुनिया अगर यही है तो दुनिया से बच के चल – शकील बदायुनी
शकील बदायुनी शायरी – यूँ तो हर शाम उमीदों
यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया – शकील बदायुनी
शकील बदायुनी शायरी – उनके बग़ैर हम जो गुलिस्ताँ
उनके बग़ैर हम जो गुलिस्ताँ में आ गए
महसूस ये हुआ कि बयाबाँ में आ गए – शकील बदायुनी
शकील बदायुनी शायरी – ज़िंदगी आ तुझे क़ातिल के
ज़िंदगी आ तुझे क़ातिल के हवाले कर दूँ
मुझ से अब ख़ून-ए-तमन्ना नहीं देखा जाता – शकील बदायुनी
शकील बदायुनी शायरी – किनारों से मुझे ऐ नाख़ुदा
किनारों से मुझे ऐ नाख़ुदा दूर ही रखना,
वहाँ ले कर चलो, तूफ़ान जहां से उठने वाला हैं। – शकील बदायुनी
शकील बदायुनी शायरी – मिरी ज़िंदगीपे न मुस्कुरा मुझे
मिरी ज़िंदगीपे न मुस्कुरा मुझे ज़िंदगीका अलम नहीं
जिसे तेरे ग़मसे हो वास्ता वह ख़िज़ाँ बहारसे कम नहीं – शकील बदायुनी
शकील बदायुनी शायरी – वो हम से ख़फ़ा हैं
वो हम से ख़फ़ा हैं हम उन से ख़फ़ा हैं
मगर बात करने को जी चाहता है – शकील बदायुनी
शकील बदायुनी शायरी – न फ़ना मिरी न बक़ा
न फ़ना मिरी न बक़ा मिरी मुझे ऐ शकील न ढूंढिए
मैं किसी का हुस्ने-ख़याल हूँ मिरा कुछ वजूदो-अदम नहीं – शकील बदायुनी
शकील बदायुनी शायरी – जब हुआ ज़िक्र ज़माने में
जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का ‘शकील’
मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया – शकील बदायुनी