राहत इंदौरी शायरी – प्यास अगर मेरी बुझा दे

प्यास अगर मेरी बुझा दे तो मैं जानू,
वरना तू समंदर है तो होगा,मेरी किस काम का है. – राहत इंदौरी

राहत इंदौरी शायरी – लफ्ज़ गूंगे हो चुके तहरीर

लफ्ज़ गूंगे हो चुके तहरीर अंधी हो चुकी,
जितने भी मुखबिर थे अखबारो के मालिक हो गए ॥ – राहत इंदौरी

राहत इंदौरी शायरी – सितारों आओ मिरी राह में

सितारों आओ मिरी राह में बिखर जाओ
ये मेरा हुक्म है हालाँकि कुछ नहीं हूँ मैं – राहत इंदौरी

राहत इंदौरी शायरी – मेरा जमीर मेरा ऐतबार बोलता

मेरा जमीर मेरा ऐतबार बोलता है
मेरी जुबान से परवरदिगार बोलता है
तेरी जुबान कतरना बहुत जरूरी है
तुझे मर्ज है तू बार-बार बोलता है – राहत इंदौरी

राहत इंदौरी शायरी – जो तौर है दुनिया का

जो तौर है दुनिया का उसी तौर से बोलो,
बहरों’ का इलाक़ा है ज़रा ज़ोर से बोलो . – राहत इंदौरी