रहता है दिन में रात के होने का इंतज़ार,
फिर रात को दवाओं की गोली से काटना । – मुनव्वर राना
Tag: मुनव्वर राना शेर ओ शायरी
मुनव्वर राना शायरी – तुम्हें भी नींद सी आने
तुम्हें भी नींद सी आने लगी है थक गए हम भी
चलो हम आज ये क़िस्सा अधूरा छोड़ देते हैं – मुनव्वर राना
मुनव्वर राना शायरी – झुक के मिलते हैं बुजुर्गों
झुक के मिलते हैं बुजुर्गों से हमारे बच्चे
फूल पर बाग़ की मिट्टी का असर आता है – मुनव्वर राना
मुनव्वर राना शायरी – किसी दिन मेरी रुस्वाई का
किसी दिन मेरी रुस्वाई का ये कारण न बन जाये…
तुम्हारा शहर से जाना,….मेरा बीमार हो जाना… – मुनव्वर राना
मुनव्वर राना शायरी – ऐ ख़ाक-ए-वतन तुझ से मैं
ऐ ख़ाक-ए-वतन तुझ से मैं शर्मिंदा बहुत हूँ
महँगाई के मौसम में ये त्यौहार पड़ा है – मुनव्वर राना
मुनव्वर राना शायरी – उसे भी खिड़कियाँ खोले ज़माना
उसे भी खिड़कियाँ खोले ज़माना बीत गया..
मुझे भी शाम-ओ-सहर का पता नहीं चलता … – मुनव्वर राना
मुनव्वर राना शायरी – आप दरिया हैं तो फिर
आप दरिया हैं तो फिर इस वक्त हम खतरे में हैं…
आप कश्ती हैं तो हमको पार होना चाहिये… – मुनव्वर राना
मुनव्वर राना शायरी – हम बहुत खुश हैं उसे
हम बहुत खुश हैं उसे दे के इबादत का फ़रेब
वो मगर ख़ूब समझता है ख़ुदा है वह भी – मुनव्वर राना
मुनव्वर राना शायरी – बड़ा गहरा तअल्लुक़ है सियासत
बड़ा गहरा तअल्लुक़ है सियासत से तबाही का
कोई भी शहर जलता है तो दिल्ली मुस्कुराती है – मुनव्वर राना
मुनव्वर राना शायरी – तुझे अकेले पढूँ कोई हम-सबक
तुझे अकेले पढूँ कोई हम-सबक न रहे
मैं चाहता हूँ कि तुझ पर किसी का हक न रहे – मुनव्वर राना