मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – दुनिया करे सवाल तो हम

दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें
तुमको ना हो ख्याल तो हम क्या जवाब दें – मजरूह सुल्तानपुरी

मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – शब-ए-इंतिज़ार की कश्मकश में न

शब-ए-इंतिज़ार की कश्मकश में न पूछ कैसे सहर हुई
कभी इक चराग़ जला दिया कभी इक चराग़ बुझा दिया – मजरूह सुल्तानपुरी

मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – अब सोचते हैं लाएँगे तुझ

अब सोचते हैं लाएँगे तुझ सा कहाँ से हम
उठने को उठ तो आए तिरे आस्ताँ से हम – मजरूह सुल्तानपुरी

मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – मुझे ये फ़िक्र सबकी प्यास

मुझे ये फ़िक्र सबकी प्यास अपनी प्यास है साक़ी
तुझे ये ज़िद कि खाली है मेरा पैमाना बरसों से – मजरूह सुल्तानपुरी

मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – मैं अकेला ही चला था

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया – मजरूह सुल्तानपुरी

मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – ये सच है जीना था

ये सच है जीना था पाप तुम बिन,
ये पाप मैने किया है अब तक,
मगर है मन में छवि तुम्हारी,
के जैसे मंदिर में लौ दिये की! – मजरूह सुल्तानपुरी