दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें
तुमको ना हो ख्याल तो हम क्या जवाब दें – मजरूह सुल्तानपुरी
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मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – ग़म-ए-हयात ने आवारा कर दिया
ग़म-ए-हयात ने आवारा कर दिया वरना,
थी आरज़ू तेरे दर पे सुबह-ओ-शाम करें. – मजरूह सुल्तानपुरी
मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – शब-ए-इंतिज़ार की कश्मकश में न
शब-ए-इंतिज़ार की कश्मकश में न पूछ कैसे सहर हुई
कभी इक चराग़ जला दिया कभी इक चराग़ बुझा दिया – मजरूह सुल्तानपुरी
मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – अब सोचते हैं लाएँगे तुझ
अब सोचते हैं लाएँगे तुझ सा कहाँ से हम
उठने को उठ तो आए तिरे आस्ताँ से हम – मजरूह सुल्तानपुरी
मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – बचा लिया मुझे तूफ़ाँ की
बचा लिया मुझे तूफ़ाँ की मौज ने वर्ना
किनारे वाले सफ़ीना मेरा डुबो देते – मजरूह सुल्तानपुरी
मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – मजरूह काफले कि मेरे दास्ताँ
मजरूह काफले कि मेरे दास्ताँ ये है।।
रहबर ने मिल के लूट लिया राहजन के साथ।। – मजरूह सुल्तानपुरी
मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – मुझे ये फ़िक्र सबकी प्यास
मुझे ये फ़िक्र सबकी प्यास अपनी प्यास है साक़ी
तुझे ये ज़िद कि खाली है मेरा पैमाना बरसों से – मजरूह सुल्तानपुरी
मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – जफ़ा के ज़िक्र पे तुम
जफ़ा के ज़िक्र पे तुम क्यूँ सँभल के बैठ गए
तुम्हारी बात नहीं बात है ज़माने की – मजरूह सुल्तानपुरी
मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – मैं अकेला ही चला था
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया – मजरूह सुल्तानपुरी
मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – ये सच है जीना था
ये सच है जीना था पाप तुम बिन,
ये पाप मैने किया है अब तक,
मगर है मन में छवि तुम्हारी,
के जैसे मंदिर में लौ दिये की! – मजरूह सुल्तानपुरी