हसरत मोहानी शायरी – भुलाता लाख हूँ लेकिन बराबर

भुलाता लाख हूँ लेकिन बराबर याद आते हैं
इलाही तर्के-उल्फ़त पर वो क्योंकर याद आते हैं – हसरत मोहानी

हसरत मोहानी शायरी – एक तुम हो कि वफा

एक तुम हो कि वफा तुमसे न होगी, न हुई,
एक हम कि तकाजा न किया है, न करेंगे….!! – हसरत मोहानी

हसरत मोहानी शायरी – मुनहसिर वक़्त-ए-मुक़र्रर पे मुलाक़ात हुई

मुनहसिर वक़्त-ए-मुक़र्रर पे मुलाक़ात हुई
आज ये आप की जानिब से नई बात हुई – हसरत मोहानी

हसरत मोहानी शायरी – वस्ल की बनती हैं इन

वस्ल की बनती हैं इन बातों से तदबीरें कहीं
आरज़ूओं से फिरा करती हैं तक़दीरें कहीं – हसरत मोहानी