हफ़ीज़ जालंधरी शायरी – ये अजब मरहला-ए-उम्र है या

ये अजब मरहला-ए-उम्र है या रब के मुझे,
हर बुरी बात, बुरी बात नज़र आती है…!!! – हफ़ीज़ जालंधरी

हफ़ीज़ जालंधरी शायरी – क्या हो गया जो शान-ए-ख़ुदा

क्या हो गया जो शान-ए-ख़ुदा कह दिया तुझे
इतनी सी बात पर बुत-ए-काफ़िर ख़फ़ा न हो – हफ़ीज़ जालंधरी

हफ़ीज़ जालंधरी शायरी – जब कोई ताज़ा मुसीबत टूटती

जब कोई ताज़ा मुसीबत टूटती है ऐ ‘हफ़ीज़’
एक आदत है ख़ुदा को याद कर लेता हूँ मैं – हफ़ीज़ जालंधरी

हफ़ीज़ जालंधरी शायरी – सुकून-ए-ज़िंदगी तर्क-ए-अमल का नाम है

सुकून-ए-ज़िंदगी तर्क-ए-अमल का नाम है शायद
न ख़ुश होता हूँ आसाँ से न घबराता हूँ मुश्किल से – हफ़ीज़ जालंधरी

हफ़ीज़ जालंधरी शायरी – आशिक़ सा बद-नसीब कोई दूसरा

आशिक़ सा बद-नसीब कोई दूसरा न हो
माशूक़ ख़ुद भी चाहे तो उस का भला न हो – हफ़ीज़ जालंधरी