ये अजब मरहला-ए-उम्र है या रब के मुझे,
हर बुरी बात, बुरी बात नज़र आती है…!!! – हफ़ीज़ जालंधरी
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हफ़ीज़ जालंधरी शायरी – लुत्फ़ आने लगा जफ़ाओं में
लुत्फ़ आने लगा जफ़ाओं में
वो कहीं मेहरबां न हो जाए – हफ़ीज़ जालंधरी
हफ़ीज़ जालंधरी शायरी – ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती
ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती है
बात होती है मगर बात नहीं होती है.. – हफ़ीज़ जालंधरी
हफ़ीज़ जालंधरी शायरी – क्या हो गया जो शान-ए-ख़ुदा
क्या हो गया जो शान-ए-ख़ुदा कह दिया तुझे
इतनी सी बात पर बुत-ए-काफ़िर ख़फ़ा न हो – हफ़ीज़ जालंधरी
हफ़ीज़ जालंधरी शायरी – मुद्दतों तक जो पढ़ाया किया
मुद्दतों तक जो पढ़ाया किया उस्ताद मुझे
इश्क़ में भूल गया कुछ न रहा याद मुझे – हफ़ीज़ जालंधरी
हफ़ीज़ जालंधरी शायरी – ओ बे-नसीब दिन के तसव्वुर
ओ बे-नसीब दिन के तसव्वुर ये ख़ुश न हो
चोला बदल लिया है शब-ए-इंतिज़ार ने – हफ़ीज़ जालंधरी
हफ़ीज़ जालंधरी शायरी – जब कोई ताज़ा मुसीबत टूटती
जब कोई ताज़ा मुसीबत टूटती है ऐ ‘हफ़ीज़’
एक आदत है ख़ुदा को याद कर लेता हूँ मैं – हफ़ीज़ जालंधरी
हफ़ीज़ जालंधरी शायरी – सुकून-ए-ज़िंदगी तर्क-ए-अमल का नाम है
सुकून-ए-ज़िंदगी तर्क-ए-अमल का नाम है शायद
न ख़ुश होता हूँ आसाँ से न घबराता हूँ मुश्किल से – हफ़ीज़ जालंधरी
हफ़ीज़ जालंधरी शायरी – आशिक़ सा बद-नसीब कोई दूसरा
आशिक़ सा बद-नसीब कोई दूसरा न हो
माशूक़ ख़ुद भी चाहे तो उस का भला न हो – हफ़ीज़ जालंधरी
हफ़ीज़ जालंधरी शायरी – कोई चारह नहीं दुआ के
कोई चारह नहीं दुआ के सिवा
कोई सुनता नहीं ख़ुदा के सिवा – हफ़ीज़ जालंधरी