दुष्यंत कुमार शायरी – ज़िंदगी जब अज़ाब होती है

ज़िंदगी जब अज़ाब होती है
आशिक़ी कामयाब होती है – दुष्यंत कुमार

दुष्यंत कुमार शायरी – रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा

रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा है दुनिया
इस बहकती हुई दुनिया को सँभालो यारो – दुष्यंत कुमार

दुष्यंत कुमार शायरी – जिसे मै ओढता बिछाता हूं

जिसे मै ओढता बिछाता हूं
वही गज़ल तुम्हे सुनाता हूं
एक जंगल है तेरी आंखो मे
मै जहां राह भूल जाता हूं – दुष्यंत कुमार

दुष्यंत कुमार शायरी – आज यह दीवार

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए। – दुष्यंत कुमार