अल्लामा इक़बाल शायरी – अनोखी वज़ह है सारे ज़माने

अनोखी वज़ह है सारे ज़माने से निराले है..
ये आशिक़ कौन सी बस्ती के या-रब रहने वाले है.! – अल्लामा इक़बाल

Iqbal Shayari

अल्लामा इक़बाल शायरी – यह दस्तूर ए जुबां बंदी

यह दस्तूर ए जुबां बंदी है कैसा तेरी महफ़िल में
यहाँ तो बात करने को तरसती है जुबां मेरी – अल्लामा इक़बाल

अल्लामा इक़बाल शायरी – सौ सौ उमीदें बंधती है

सौ सौ उमीदें बंधती है इक इक निगाह पर
मुझ को न ऐसे प्यार से देखा करे कोई – अल्लामा इक़बाल

अल्लामा इक़बाल शायरी – हया नहीं है ज़माने की

हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी ,
खुदा करे की जवानी तेरी रहे बे-दाग . – अल्लामा इक़बाल