अनोखी वज़ह है सारे ज़माने से निराले है..
ये आशिक़ कौन सी बस्ती के या-रब रहने वाले है.! – अल्लामा इक़बाल
Iqbal Shayari
अनोखी वज़ह है सारे ज़माने से निराले है..
ये आशिक़ कौन सी बस्ती के या-रब रहने वाले है.! – अल्लामा इक़बाल
Iqbal Shayari
न तू ज़मीं के लिए है, न आसमाँ के लिए..
जहाँ है तेरे लिए, तू नहीं जहाँ के लिए.! – अल्लामा इक़बाल
Allama Iqbal Shayari Urdu
मन की दौलत हाथ आती है तो फिर जाती नहीं
तन की दौलत छाँव है आता है धन जाता है धन – अल्लामा इक़बाल
Allama Iqbal Shayari
यह दस्तूर ए जुबां बंदी है कैसा तेरी महफ़िल में
यहाँ तो बात करने को तरसती है जुबां मेरी – अल्लामा इक़बाल
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख – अल्लामा इक़बाल
दिल से जो बात निकलती है असर रखती है
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है – अल्लामा इक़बाल
सौ सौ उमीदें बंधती है इक इक निगाह पर
मुझ को न ऐसे प्यार से देखा करे कोई – अल्लामा इक़बाल
बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम
सौ बार कर चुका है तू इम्तिहाँ हमारा – अल्लामा इक़बाल
हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी ,
खुदा करे की जवानी तेरी रहे बे-दाग . – अल्लामा इक़बाल
आँख को मानूस है तेरे दर-ओ-दीवार से
अज्नबिय्यत है मगर पैदा मिरी रफ़्तार से – अल्लामा इक़बाल