अमीर मीनाई शायरी – वाए क़िस्मत वो भी कहते

वाए क़िस्मत वो भी कहते हैं बुरा
हम बुरे सब से हुए जिन के लिए – अमीर मीनाई

अमीर मीनाई शायरी – वो बेदर्दी से सर काटे

वो बेदर्दी से सर काटे ‘अमीर’ और मैं कहूँ उन से
हुज़ूर आहिस्ता-आहिस्ता जनाब आहिस्ता-आहिस्ता – अमीर मीनाई

अमीर मीनाई शायरी – वोह दुश्मनी से देखते हैं

वोह दुश्मनी से देखते हैं, देखते तो हैं
मैं शाद हूँ, कि हूँ तो, किसी की निगाह में। – अमीर मीनाई

अमीर मीनाई शायरी – आहों से सोज़-ए-इश्क़ मिटाया न

आहों से सोज़-ए-इश्क़ मिटाया न जाएगा
फूँकों से ये चराग़ बुझाया न जाएगा – अमीर मीनाई