नासिर काज़मी शायरी – मिटी मिटी सी उम्मीदें थके

मिटी मिटी सी उम्मीदें थके थके से ख़याल
बुझे बुझे से निगाहों में ग़म के अफ़्साने – नासिर काज़मी

नासिर काज़मी शायरी – ये हक़ीक़त है कि अहबाब

ये हक़ीक़त है कि अहबाब को हम
याद ही कब थे जो अब याद नहीं – नासिर काज़मी