जिगर मुरादाबादी शायरी – कीजिए और कोई जुल्म अगर

कीजिए और कोई जुल्म अगर जिद है यही
लीजिए और मेरे लब पै दुआएं आईं – जिगर मुरादाबादी

जिगर मुरादाबादी शायरी – वही है ज़िंदगी लेकिन ‘जिगर’

वही है ज़िंदगी लेकिन ‘जिगर’ ये हाल है अपना
कि जैसे ज़िंदगी से ज़िंदगी कम होती जाती है – जिगर मुरादाबादी

जिगर मुरादाबादी शायरी – जब मिली आँख होश खो

जब मिली आँख होश खो बैठे
कितने हाज़िर-जवाब हैं हम लोग – जिगर मुरादाबादी

जिगर मुरादाबादी शायरी – समझे थे तुझसे दूर निकल

समझे थे तुझसे दूर निकल जायेंगे कहीं…
देखा तो हर मुक़ाम तेरी रहगुज़र में है… – जिगर मुरादाबादी