मीर तक़ी मीर शायरी – बेवफ़ाई पे तेरी जी है

बेवफ़ाई पे तेरी जी है फ़िदा
क़हर होता जो बा-वफ़ा होता! – मीर तक़ी मीर

मीर तक़ी मीर शायरी – दिल की वीरानी का क्या

दिल की वीरानी का क्या मज़कूर है
ये नगर सौ मर्तबा लूटा गया – मीर तक़ी मीर

मीर तक़ी मीर शायरी – हम ने अपनी सी की

हम ने अपनी सी की बहुत लेकिन
मरज़-ए-इश्क़ का इलाज नहीं – मीर तक़ी मीर

मीर तक़ी मीर शायरी – खिलना कम कम कली ने

खिलना कम कम कली ने सीखा है
उस की आँखों की नीम-ख़्वाबी से! – मीर तक़ी मीर