कैफ़ी आज़मी शायरी – बस इक झिझक है यही

बस इक झिझक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने मे – कैफ़ी आज़मी

कैफ़ी आज़मी शायरी – जब भी चूम लेता हूँ

जब भी चूम लेता हूँ उन हसीन आँखों को..
सौ चिराग़ अँधेरे में झिलमिलाने लगते है.! – कैफ़ी आज़मी

कैफ़ी आज़मी शायरी – पेड़ के काटने वालों को

पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था,
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा। – कैफ़ी आज़मी

कैफ़ी आज़मी शायरी – चंद रेखाओं में सीमाओं में

चंद रेखाओं में सीमाओं में
ज़िंदगी क़ैद है सीता की तरह – कैफ़ी आज़मी