अब ये आलम है कि ग़म की भी ख़बर होती नहीं
अश्क बह जाते हैं लेकिन आँख तर होती नहीं – क़ाबिल अजमेरी
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क़ाबिल अजमेरी शायरी – अश्कों में हुस्न-ए-दोस्त दिखाती है
अश्कों में हुस्न-ए-दोस्त दिखाती है चाँदनी
शबनम को चार चाँद लगाती है चाँदनी – क़ाबिल अजमेरी
क़ाबिल अजमेरी शायरी – ज़माना दोस्त है किस किस
ज़माना दोस्त है किस किस को याद रक्खोगे
खुदा करे के तुम्हें मुझ से दुश्मनी हो जाए – क़ाबिल अजमेरी
क़ाबिल अजमेरी शायरी – ऐ दौलत-ए-सुकूँ के तलब-गार देखना
ऐ दौलत-ए-सुकूँ के तलब-गार देखना
शबनम से जल गया है गुलिस्ताँ कभी कभी – क़ाबिल अजमेरी
क़ाबिल अजमेरी शायरी – अब भी उदास उदास हैं
अब भी उदास उदास हैं रातें तेरे बग़ैर
अब भी बुझी बुझी नज़र आती है चाँदनी – क़ाबिल अजमेरी
क़ाबिल अजमेरी शायरी – कौन याद आ गया अज़ाँ
कौन याद आ गया अज़ाँ के वक़्त
बुझता जाता है दिल चराग़ जले – क़ाबिल अजमेरी
क़ाबिल अजमेरी शायरी – रंग-ए-महफ़िल चाहता है इक मुकम्मल
रंग-ए-महफ़िल चाहता है इक मुकम्मल इंक़लाब
चंद शम्ओं के भड़कने से सहर होती नहीं – क़ाबिल अजमेरी
क़ाबिल अजमेरी शायरी – उन की पलकों पर सितारे
उन की पलकों पर सितारे अपने होंटों पे हँसी
क़िस्सा-ए-ग़म कहते कहते हम कहाँ तक आ गए! – क़ाबिल अजमेरी
क़ाबिल अजमेरी शायरी – तुम न मानो मगर हक़ीक़त
तुम न मानो मगर हक़ीक़त है
इश्क़ इंसान की ज़रूरत है – क़ाबिल अजमेरी
क़ाबिल अजमेरी शायरी – बहुत काम लेने हैं दर्द-ए-जिगर
बहुत काम लेने हैं दर्द-ए-जिगर से
कहीं ज़िंदगी को क़रार आ न जाए – क़ाबिल अजमेरी