चेहरों पे जो डाले हुए बैठे हैं नक़ाबें
उन लोगों को महफ़िल से उठा क्यूँ नहीं देते – इक़बाल अज़ीम
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इक़बाल अज़ीम शायरी – यूँ सर-ए-राह मुलाक़ात हुई है
यूँ सर-ए-राह मुलाक़ात हुई है अक्सर
उस ने देखा भी नहीं हम ने पुकारा भी नहीं – इक़बाल अज़ीम
इक़बाल अज़ीम शायरी – हम-सफ़र ढूँडो न रहबर का
हम-सफ़र ढूँडो न रहबर का सहारा चाहो
ठोकरें खाओगे तो ख़ुद ही सँभल जाओगे – इक़बाल अज़ीम
इक़बाल अज़ीम शायरी – जो हम पे गुज़री है
जो हम पे गुज़री है शायद सभी पे गुज़री हो
फ़साना जो भी सुना कुछ सुना सुना सा लगा – इक़बाल अज़ीम
इक़बाल अज़ीम शायरी – ज़माना देखा है हम ने
ज़माना देखा है हम ने हमारी क़द्र करो
हम अपनी आँखों में दुनिया बसाए बैठे हैं – इक़बाल अज़ीम
इक़बाल अज़ीम शायरी – अपनी मिट्टी ही पे चलने
अपनी मिट्टी ही पे चलने का सलीक़ा सीखो
संग-ए-मरमर पे चलोगे तो फिसल जाओगे – इक़बाल अज़ीम
इक़बाल अज़ीम शायरी – जो नज़र बचा के ग़ुज़र
जो नज़र बचा के ग़ुज़र गये, मेरे सामने से अभी अभी
ये मेरे ही शहर के लोग थे, मेरे घर से घर है मिला हुआ – इक़बाल अज़ीम
इक़बाल अज़ीम शायरी – आदमी जान के खाता है
आदमी जान के खाता है मोहब्बत में फ़रेब
ख़ुद-फ़रेबी ही मोहब्बत का सिला हो जैसे – इक़बाल अज़ीम
इक़बाल अज़ीम शायरी – हम बहुत दूर निकल आए
हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलते
अब ठहर जाएँ कहीं शाम के ढलते ढलते – इक़बाल अज़ीम
इक़बाल अज़ीम शायरी – हम को दुनिया से मोहब्बत
हम को दुनिया से मोहब्बत भी बहुत है लेकिन
लाख इल्ज़ाम भी दुनिया को दिए जाते हैं – इक़बाल अज़ीम