इक़बाल अज़ीम शायरी – चेहरों पे जो डाले हुए

चेहरों पे जो डाले हुए बैठे हैं नक़ाबें
उन लोगों को महफ़िल से उठा क्यूँ नहीं देते – इक़बाल अज़ीम

इक़बाल अज़ीम शायरी – जो हम पे गुज़री है

जो हम पे गुज़री है शायद सभी पे गुज़री हो
फ़साना जो भी सुना कुछ सुना सुना सा लगा – इक़बाल अज़ीम

इक़बाल अज़ीम शायरी – जो नज़र बचा के ग़ुज़र

जो नज़र बचा के ग़ुज़र गये, मेरे सामने से अभी अभी
ये मेरे ही शहर के लोग थे, मेरे घर से घर है मिला हुआ – इक़बाल अज़ीम

इक़बाल अज़ीम शायरी – हम बहुत दूर निकल आए

हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलते
अब ठहर जाएँ कहीं शाम के ढलते ढलते – इक़बाल अज़ीम