Jaun Elia Shayari Hindi

Jaun Elia Poetry | Jaun Elia Shayari | John Elia Best Poetry
Best 150+ Jaun Elia Shayari Collection In Hindi Font Text Format

Jaun Elia Poetry | Jaun Elia Shayari | John Elia Best Poetry

शायद मुझे किसी से मोहब्बत नहीं हुई
लेकिन यक़ीन सब को दिलाता रहा हूँ मैं

एक ही तो हवस रही है हमें
अपनी हालत तबाह की जाए।

शर्म, दहशत, झिझक, परेशानी
नाज़ से काम क्यों नहीं लेती
आप, वह, जी, मगर ये सब क्या है
तुम मिरा नाम क्यों नहीं लेती।

इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने।

एक शख्स कर रहा है अभी तक वफा का जिक्र
काश उस ज़बां-दराज़ का मुंह नोच ले कोई।

नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारी
तो फिर दुनिया की पर्वा क्यूँ करें हम?

अब मैं सारे जहाँ में हूँ बदनाम
अब भी तुम मुझको जानती हो क्या

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे

बात ही कब किसी की मानी है
अपनी हठ पूरी कर के छोड़ोगी

ये कलाई ये जिस्म और ये कमर
तुम सुराही ज़रूर तोड़ोगी

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे

सोचूँ तो सारी उम्र मोहब्बत में कट गई
देखूँ तो एक शख़्स भी मेरा नहीं हुआ

कैसा दिल और इस के क्या ग़म जी
यूँ ही बातें बनाते हैं हम जी

या’नी तुम वो हो वाक़ई? हद है
मैं तो सच-मुच सभी को भूल गया

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे

और क्या चाहती है गर्दिश-ए-अय्याम कि हम
अपना घर भूल गए उन की गली भूल गए

इक हुनर है जो कर गया हूँ मैं
सब के दिल से उतर गया हूँ मैं

उस के पहलू से लग के चलते हैं
हम कहीं टालने से टलते हैं

John Elia Shayari | John Elia Poetry | Famous Deep John Elia Poetry

नाम पे हम क़ुर्बान थे उस के लेकिन फिर ये तौर हुआ
उस को देख के रुक जाना भी सब से बड़ी क़ुर्बानी थी

मुझ से बिछड़ कर भी वो लड़की कितनी ख़ुश ख़ुश रहती है
उस लड़की ने मुझ से बिछड़ कर मर जाने की ठानी थी

मुद्दतों बाद इक शख़्स से मिलने के लिए
आइना देखा गया, बाल सँवारे गए

हम को यारों ने याद भी न रखा
‘जौन’ यारों के यार थे हम तो

न करो बहस हार जाओगी
हुस्न इतनी बड़ी दलील नहीं

रंग की अपनी बात है वर्ना
आख़िरश ख़ून भी तो पानी है

पड़ी रहने दो इंसानों की लाशें
ज़मीं का बोझ हल्का क्यूँ करें हम

हो न पाया ये फैसला अब तक
कीजिए आप तो क्या कीजे

मत पूछो कितना ग़मगीन हूं, गंगा जी और यमुना जी
ज्यादा तुमको याद नहीं हूं, गंगा जी और यमुना जी

अमरोहा में बान नदी के पास जो लड़का रहता था
अब वो कहां है? मैं तो वही हूं, गंगा जी और यमुना जी

आज का दिन भी ऐश से गुज़रा
सर से पाँव तक बदन सलामत है

निकहत-ए-पैरहन से उस गुल की
सिलसिला बे-सबा रहा मेरा

Jaun Elia Sher | Jaun Elia Quotes | Deep Meaning John Elia Shayari In Hindi

याराँ वो जो है मेरा मसीहा-ए-जान-ओ-दिल
बे-हद अज़ीज़ है मुझे अच्छा किए बग़ैर

मैं बिस्तर-ए-ख़याल पे लेटा हूँ उस के पास
सुब्ह-ए-अज़ल से कोई तक़ाज़ा किए बग़ैर

मैं पैहम हार कर ये सोचता हूँ
वो क्या शय है जो हारी जा रही है

जिस को ख़ुद मैं ने भी अपनी रूह का इरफ़ाँ समझा था
वो तो शायद मेरे प्यासे होंटों की शैतानी थी

रूहों के पर्दा-पोश गुनाहों से बे-ख़बर
जिस्मों की नेकियाँ ही गिनाता रहा हूँ मैं

सब से पुर-अम्न वाक़िआ ये है
आदमी आदमी को भूल गया

सुब्ह तक वज्ह-ए-जाँ-कनी थी जो बात
मैं उसे शाम ही को भूल गया

है कुछ ऐसा कि जैसे ये सब कुछ
इस से पहले भी हो चुका है कहीं

तेग़-बाज़ी का शौक़ अपनी जगह
आप तो क़त्ल-ए-आम कर रहे हैं

Jaun Elia Rekhta | Jaun Elia Best Shayari | John Elia Best Shayari

ये ख़राबातियान-ए-ख़िरद-बाख़्ता
सुब्ह होते ही सब काम पर जाएँगे

एक ही हादसा तो है और वो ये कि आज तक
बात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई

अपनी महरूमियाँ छिपाते हैं
हम गरीबों की आन बान में क्या

आप अपने से हमसुख़न रहना
हमनशीं सांस फुल जाती है

ये तो बढ़ती ही चली जाती है मीआद-ए-सितम
ज़ुज़ हरीफ़ान-ए-सितम किस को पुकारा जाए

वक़्त ने एक ही नुक्ता तो किया है तालीम
हाकिम-ए-वक़त को मसनद से उतारा जाए

यहाँ वो कौन है जो इंतिख़ाब ए ग़म पर कादिर हो
जो मिल जाए वही ग़म दोस्तों का मुद्दआ होगा

ज़ात दर ज़ात हमसफ़र रहकर
अजनबी अजनबी को भूल गया

फ़िक्र-ए-ईजाद में गुम हूँ मुझे ग़ाफ़िल न समझ
अपने अंदाज़ पर ईजाद करूँगा तुझ को

इक महक सिम्त ए दिल से आई थी
मैं ये समझा तेरी सवारी है

ये कुछ आसान तो नहीं है कि हम
रूठते अब भी हैं मुरव्वत में!

मेरी अक्लो होश की सब हालते
तुमने साँचे में जुनु के ढाल दी

कर लिया था मैंने एहदे तर्के-इश्क
तुमने फिर बाहें गले में ड़ाल दी |

Shayad Jaun Elia | Heart Touching John Elia Poetry | Jaun Elia Best Poetry

ये तेरे ख़त ये तेरी ख़ुशबू ये तेरे ख़्वाब-ओ-ख़याल
मता-ए-जाँ हैं तेरे कौल और क़सम की तरह

गुज़िश्ता साल मैंने इन्हें गिनकर रक्खा था
किसी ग़रीब की जोड़ी हुई रकम की तरह

उसके बदन को दी नुमूद हमने सुखन में और फिर
उसके बदन के वास्ते इक क़बा़ भी सी गई

चांद ने ओढ़ ली है चादर ए अब्र
अब वो कपड़े बदल रही होगी

मोहब्बत क्या थी ज़ुज़ बदहवासी
के वो बंद ए क़बा़ हमसे खुला नहीं

न हुआ नसीब क़रार ए जाँ हवस ए क़रार भी अब नहीं
तिरा इंतिज़ार बहुत किया तिरा इंतिज़ार भी अब नहीं

तुझे क्या ख़बर मह ओ साल ने हमें कैसे ज़ख़्म दिए यहाँ
तिरी यादगार थी इक ख़लिश तिरी यादगार भी अब नहीं

कल दोपहर अजीब इक बेदिली रही
बस तिल्लियाँ जलाकर बुझाता रहा हूँ मैं

गाहे गाहे बस अब यही हो क्या
तुमसे मिलकर बहुत खुशी हो क्या

ये धोखे देता आया है दिल को भी दुनिया को भी
इसके छल ने खार किया है सहरा में लैला को भी

Jaun Elia Shayari Hindi | Jon Elia Poetry | Jaun Elia Sad Poetry

हुस्न बला का कातिल हो पर आखिर को बेचारा है
इश्क़ तो वो कातिल जिसने अपनों को भी मारा है

ये धोखे देता आया है दिल को भी दुनिया को भी
इसके छल ने खार किया है सहरा में लैला को भी

इक हुस्न ए बेमिसाल की तमसील के लिए
परछाईयों पर रंग गिराता रहा हूँ मैं!

ज़ुलेखा ए अज़ीज़ाँ बात ये है
भला घाटे का सौदा क्यूँ करें हम ?

मैं तो सफों के दरमियां कब से पड़ा हूं नीम जाँ,
मेरे तमाम जाँ निसार मेरे लिए तो मर गए

हाँ ठीक है मैं अपनी अना का मरीज़ हूँ
आख़िर मिरे मिज़ाज में क्यूँ दख़्ल दे कोई

हाल ये है कि अपनी हालत पर
गौर करने से बच रहा हूँ मैं

हैं बाशिंदे इसी बस्ती के हम भी
सो ख़ुद पर भी भरोसा क्यों करें हम

नहीं देखी है शकल तक उसकी
ख़्वाब में किसकी शकल देखूँ मैं

हम कहाँ और तुम कहाँ जानाँ
हैं कई हिज्र दरमियाँ जानाँ

हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुम
तुम्हारी ही तमन्ना क्यूँ करें हम

दिल में और दुनिया में अब नहीं मिलेंगे हम
वक़्त के हमेशा में अब नहीं मिलेंगे हम

Jaun Elia Ghazal | John Elia Sad Poetry | Jon Elia | Jaun Elia Best Lines

तुमने एहसान किया था जो हमें चाहा था
अब वो एहसान जता दो तो मजा आ जाए

हम दोनों मिल कर भी दिलों की तन्हाई में भटकेंगे
पागल कुछ तो सोच ये तूने कैसी शक्ल बनाई है

रोया हूँ तो अपने दोस्तों में
पर तुझ से तो हँस के ही मिला हूँ

गँवाई किस की तमन्ना में ज़िंदगी मैं ने
वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैं ने

शौक़ है इस दिल-ए-दरिंदा को
आप के होंठ काट खाने का

मेरी हर बात बे-असर ही रही
नक़्स है कुछ मिरे बयान में क्या

जानिए उस से निभेगी किस तरह
वो ख़ुदा है मैं तो बंदा भी नहीं

ज़िंदगी क्या है इक कहानी है
ये कहानी नहीं सुनानी है

मैं जो हूँ ‘जौन-एलिया’ हूँ जनाब
इस का बेहद लिहाज़ कीजिएगा

अपने सर इक बला तो लेनी थी
मैं ने वो ज़ुल्फ़ अपने सर ली है

तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी
कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो

ऐ शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू से
बे-ज़ार नहीं हूँ थक गया हूँ

जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरा
याद का सारा सर-ओ-सामाँ जलाते जाइए

Shayari John Elia | Shayari Jaun Elia | John Elia Quotes

ये बहुत ग़म की बात हो शायद
अब तो ग़म भी गँवा चुका हूँ मैं

कोई मुझ तक पहुँच नहीं पाता
इतना आसान है पता मेरा

शब जो हम से हुआ मुआफ़ करो
नहीं पी थी बहक गए होंगे

जुर्म में हम कमी करें भी तो क्यूँ
तुम सज़ा भी तो कम नहीं करते

आज मुझ को बहुत बुरा कह कर
आप ने नाम तो लिया मेरा

जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना
वस्ल से इंतिज़ार अच्छा था

मुझ को आदत है रूठ जाने की
आप मुझ को मना लिया कीजे

इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है

हम को यारों ने याद भी न रखा
‘जौन’ यारों के यार थे हम तो

यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे

दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते
अब कोई शिकवा हम नहीं करते

बिन तुम्हारे कभी नहीं आई
क्या मिरी नींद भी तुम्हारी है

अपना रिश्ता ज़मीं से ही रक्खो
कुछ नहीं आसमान में रक्खा

तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो
मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो

Best Of Jaun Elia | John Elia Love Poetry | John Elia Shayari In Hindi

याद उसे इंतिहाई करते हैं
सो हम उस की बुराई करते हैं

सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है

सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं
और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं

मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या

मैं रहा उम्र भर जुदा ख़ुद से
याद मैं ख़ुद को उम्र भर आया

मेरी बाँहों में बहकने की सज़ा भी सुन ले
अब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझ को

मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँ
कितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से

और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं

क्या कहा इश्क़ जावेदानी है!
आख़िरी बार मिल रही हो क्या

किस लिए देखती हो आईना
तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो

क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है

कौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है

बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या

Jaun Elia Sad Shayari | John Shayari | John Elia Poetry In Hindi

मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं

नहीं दुनिया को जब परवाह हमारी
तो फिर दुनिया की परवाह क्यूँ करें हम

‘जौन’ दुनिया की चाकरी कर के
तूने दिल की वो नौकरी क्या की

ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में

ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को
अपने अंदाज़ से गँवाने का

जमा हम ने किया है ग़म दिल में
इस का अब सूद खाए जाएँगे

ख़र्च चलेगा अब मेरा किस के हिसाब में भला
सब के लिए बहुत हूँ मैं अपने लिए ज़रा नहीं

कौन से शौक़ किस हवस का नहीं
दिल मेरी जान तेरे बस का नहीं

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे

यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे

काम की बात मैंने की ही नहीं
ये मेरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं

कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया

John Elia Quotes In Hindi | Jaun Elia Shayari In Urdu | John Elia Ki Shayari

एक ही तो हवस रही है हमें
अपनी हालत तबाह की जाए

उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं

इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने

अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या

अब तो हर बात याद रहती है
ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया

अपने सब यार काम कर रहे हैं
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं

मैं तुम्हे भूल भी तो सकता था
हाँ मगर ये नहीं किया मैंने

हमसे जो रूठ गया है वो है बहुत मासूम
हम तो औरों को मनाने के लिए निकले है

आप मुझको बहुत पसंद आईं
आप मेरी क़मीज़ सीजिएगा

हम वो हैं जो ख़ुदा को भूल गए
तुम मेरी जान किस गुमान में हो

नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम ?
बिछड़ना है तो झगडा क्यूँ करें हम?

कल रात बहुत गौर किया है सो हम उसकी
तय करके उठे हैं कि तमन्ना ना करेंगे

इस बार वो तल्खी है की रूठे भी नहीं हम
अबके वो लड़ाई है के झगड़ा ना करेंगे

बेदिली क्या यूँ ही दिन गुज़र जाएंगे
सिर्फ जिंदा रहे हम तो मर जायेंगे

अब नहीं कोई बात खतरे की
अब सभी को सभी से खतरा है

शानों पे किसके अश्क बहाया करेंगी आप
रूठेगा कौन? किसको मनाया करेंगी आप

John Elia Poetry Hindi | John Elia Love Poetry In Hindi | Jaun Elia Shayari In Hindi

गुस्से में नौकरों से उलझेंगी बार बार
मामूली बात को भी बढ़ाया करेंगी आप

बाग़बाँ हम तो इस ख़याल के हैं
देख लो फूल, फूल तोड़ो मत

बस यूँ ही मेरा गाल रखने दे
मेरी जान आज गाल पर अपने

मैं ख़ुद ये चाहता हूँ कि हालात हों खराब
मेरे ख़िलाफ़ ज़हर उगलता फिरे कोई

ऐ शख़्स अब तो मुझ को सब कुछ क़ुबूल है
ये भी क़ुबूल है कि तुझे छीन ले कोई

बस फाइलों का बोझ उठाया करें जनाब
मिसरा ये “जौन” का है, इसे मत उठाइये

जौन तुम्हे ये दौर मुबारक, दूर ग़म-ए-अय्याम से हो
एक पागल लड़की को भुला कर अब तो बड़े आराम से हो

यूँ जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या?

मुझसे बिछड़ कर भी वो लड़की कितनी खुश-खुश रहती है
उस लड़की ने मुझसे बिछड़ कर मर जाने की ठानी थी

ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख्स था जहान में क्या?

जो गुज़ारी न जा सकी हमसे
हमने वो ज़िन्दगी गुज़ारी है

शायद मुझे किसी से मोहब्बत नहीं हुई
लेकिन यक़ीन सब को दिलाता रहा हूँ मैं

क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी खुश है, हम उससे जलते हैं