Jaun Elia Shayari – Wo Baatein Kha Gayi Mujhko

वो बातें खा गईं मुझको,
जो बातें पी गया था मैं…..

मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – मैं और बज़्म-ए-मय से यूँ

मैं और बज़्म-ए-मय से यूँ तिश्ना-काम आऊँ
गर मैं ने की थी तौबा साक़ी को क्या हुआ था – मिर्ज़ा ग़ालिब

मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – न था कुछ तो खुदा

न था कुछ तो, खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता…। – मिर्ज़ा ग़ालिब

मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – उनके देखे से जो आ

उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पे रौनक
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है। – मिर्ज़ा ग़ालिब

मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – दिल ही तो है न

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ
रोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ – मिर्ज़ा ग़ालिब