सीने में जलन आँखों में तूफान सा क्यों है
इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है – शहरयार
Category: शहरयार शायरी
शहरयार शायरी – गुलाब जिस्म का यूँ ही
गुलाब जिस्म का यूँ ही नहीं खिला होगा
हवा ने पहले तुझे फिर मुझे छुआ होगा – शहरयार
शहरयार शायरी – है आज ये गिला कि
है आज ये गिला कि अकेला है ‘शहरयार’
तरसोगे कल हुजूम में तन्हाई के लिए – शहरयार
शहरयार शायरी – जो चाहती दुनिया है वो
जो चाहती दुनिया है वो मुझसे नहीं होगा
समझौता कोई ख्वाब के बदल नहीं होगा – शहरयार
शहरयार शायरी – क्या कोई नई बात नज़र
क्या कोई नई बात नज़र आती है हम में
आईना हमें देख के हैरान सा क्यूँ है – शहरयार
शहरयार शायरी – ऐसे हिज्र के मौसम अब
ऐसे हिज्र के मौसम अब कब आते हैं
तेरे अलावा याद हमें सब आते हैं – शहरयार
शहरयार शायरी – चल चल के थक गया
चल चल के थक गया है कि मंज़िल नहीं कोई,
क्यूँ वक़्त एक मोड़ पे ठहरा हुआ सा है.. – शहरयार
शहरयार शायरी – इस सफ़र में बस मेरी
इस सफ़र में बस मेरी तन्हाई मेरे साथ थी
हर क़दम क्यूँ ख़ौफ़ मुझ को भीड़ में खोने का था – शहरयार
शहरयार शायरी – तू कहाँ है तुझ से
तू कहाँ है तुझ से इक निस्बत थी मेरी ज़ात को
कब से पलकों पर उठाए फिर रहा हूँ रात को – शहरयार
शहरयार शायरी – सियाह रात नहीं लेती नाम
सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का,
यही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का !! – शहरयार