शाद अज़ीमाबादी शायरी – बहुत दिनेां पे मिरी चश्‍म

बहुत दिनेां पे मिरी चश्‍म में नज़र आया
ऐ अश्‍क ख़ैर तो है तू किधर किधर आया – शाद अज़ीमाबादी

शाद अज़ीमाबादी शायरी – कहते हैं अहल-ए-होश जब अफ़्साना

कहते हैं अहल-ए-होश जब अफ़्साना आप का
हँसता है देख देख के दीवाना आप का – शाद अज़ीमाबादी

शाद अज़ीमाबादी शायरी – भरे हों आँख में आँसू

भरे हों आँख में आँसू ख़मीदा गर्दन हो,
तो ख़ामुशी को भी इज़हार-ए-मुद्दआ कहिए ! – शाद अज़ीमाबादी

शाद अज़ीमाबादी शायरी – ढूँडोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने

ढूँडोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने के नहीं नायाब हैं हम
जो याद न आए भूल के फिर ऐ हम-नफ़सो वो ख़्वाब हैं हम – शाद अज़ीमाबादी

शाद अज़ीमाबादी शायरी – तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ

तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ
खिलौने दे के बहलाया गया हूँ – शाद अज़ीमाबादी