बहुत दिनेां पे मिरी चश्म में नज़र आया
ऐ अश्क ख़ैर तो है तू किधर किधर आया – शाद अज़ीमाबादी
Category: शाद अज़ीमाबादी शायरी
शाद अज़ीमाबादी शायरी – अब इंतिहा का तिरे ज़िक्र
अब इंतिहा का तिरे ज़िक्र में असर आया
कि मुँह से नाम लिया दिल में तू उतर आया – शाद अज़ीमाबादी
शाद अज़ीमाबादी शायरी – तेरे कमाल की हद कब
तेरे कमाल की हद कब कोई बशर समझा
उसी क़दर उसे हैरत है, जिस क़दर समझा – शाद अज़ीमाबादी
शाद अज़ीमाबादी शायरी – कहते हैं अहल-ए-होश जब अफ़्साना
कहते हैं अहल-ए-होश जब अफ़्साना आप का
हँसता है देख देख के दीवाना आप का – शाद अज़ीमाबादी
शाद अज़ीमाबादी शायरी – तन्हा है चराग़ दूर परवाने
तन्हा है चराग़ दूर परवाने हैं
अपने थे जो कल आज वो बेगाने हैं – शाद अज़ीमाबादी
शाद अज़ीमाबादी शायरी – अब भी इक उम्र पे
अब भी इक उम्र पे जीने का न अंदाज़ आया
ज़िंदगी छोड़ दे पीछा मिरा मैं बाज़ आया – शाद अज़ीमाबादी
शाद अज़ीमाबादी शायरी – भरे हों आँख में आँसू
भरे हों आँख में आँसू ख़मीदा गर्दन हो,
तो ख़ामुशी को भी इज़हार-ए-मुद्दआ कहिए ! – शाद अज़ीमाबादी
शाद अज़ीमाबादी शायरी – ढूँडोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने
ढूँडोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने के नहीं नायाब हैं हम
जो याद न आए भूल के फिर ऐ हम-नफ़सो वो ख़्वाब हैं हम – शाद अज़ीमाबादी
शाद अज़ीमाबादी शायरी – तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ
तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ
खिलौने दे के बहलाया गया हूँ – शाद अज़ीमाबादी
शाद अज़ीमाबादी शायरी – कौन सी बात नई ऐ
कौन सी बात नई ऐ दिल-ए-नाकाम हुई
शाम से सुब्ह हुई सुब्ह से फिर शाम हुई – शाद अज़ीमाबादी