शम्अ जिस आग में जलती है नुमाइश के लिए
हम उसी आग में गुम-नाम से जल जाते हैं – क़तील शिफ़ाई
Category: क़तील शिफ़ाई शायरी
क़तील शिफ़ाई शायरी – गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं
गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं
हम चराग़ों की तरह शाम से जल जाते हैं – क़तील शिफ़ाई
क़तील शिफ़ाई शायरी – सूरज सी इक चीज़ तो
सूरज सी इक चीज़ तो हम सब देख चुके
सचमुच की अब कोई सहर दे या अल्लाह ।। – क़तील शिफ़ाई
क़तील शिफ़ाई शायरी – वो मेरा दोस्त है सारे
वो मेरा दोस्त है सारे जहाँ को है मालूम,
दग़ा करे वो किसी से तो शर्म आये मुझे.. – क़तील शिफ़ाई
क़तील शिफ़ाई शायरी – हम उसे याद बहुत आएँगे
हम उसे याद बहुत आएँगे
जब उसे भी कोई ठुकराएगा
काएनात उस की मेरी ज़ात में है
मुझ को खो कर वो किसे पाएगा – क़तील शिफ़ाई
क़तील शिफ़ाई शायरी – यारो कहाँ तक और मुहब्बत
यारो कहाँ तक और मुहब्बत निभाऊँ मैं
दो मुझको बद्-दुआ कि उसे भूल जाऊँ मैं – क़तील शिफ़ाई
क़तील शिफ़ाई शायरी – सुनता हूँ अब किसी से
सुनता हूँ अब किसी से वफ़ा कर रहा है वो
ऐ ज़िन्दगी खुशी से कहीं मर न जाऊँ मैं – क़तील शिफ़ाई
क़तील शिफ़ाई शायरी – अब जिस के जी में
अब जिस के जी में आए वही पाए रौशनी…
हम ने तो दिल जला के सर-ए-आम रख दिया !! – क़तील शिफ़ाई
क़तील शिफ़ाई शायरी – कुछ कह रहीं हैं आपके
कुछ कह रहीं हैं आपके सीने की धड़कनें
मेरी सुनें तो दिल का कहा मान जाइए – क़तील शिफ़ाई
क़तील शिफ़ाई शायरी – रह गई थी कुछ कमी
रह गई थी कुछ कमी रूसवाइयो में
फिर “क़तील” उस दर पे जाना चाहता हूँ – क़तील शिफ़ाई