गमे- दुनिया ने हमें जब कभी नाशाद किया,
ऐ गमे-दोस्त तुझे हमने बहुत याद किया। – ख़ुमार बाराबंकवी
Category: ख़ुमार बाराबंकवी शायरी
ख़ुमार बाराबंकवी शायरी – न हारा है इश्क़ न
न हारा है इश्क़, न दुनिया थकी है
दिया जल रहा है, हवा चल रही है – ख़ुमार बाराबंकवी
ख़ुमार बाराबंकवी शायरी – ये कैसी हवा-ए-तरक्की चली है
ये कैसी हवा-ए-तरक्की चली है
दीये तो दीये दिल बुझे जा रहे हैं – ख़ुमार बाराबंकवी
ख़ुमार बाराबंकवी शायरी – हम रहे मुब्तला-ऐ-दैर-ओ-हरम
हम रहे मुब्तला-ऐ-दैर-ओ-हरम
वो दबे पाँव दिल में आ बैठे
उठ के इक बेवफ़ा ने दे दी जान
रह गए सारे बावफ़ा बैठे – ख़ुमार बाराबंकवी
ख़ुमार बाराबंकवी शायरी – ऐसा नहीं कि उन से
ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही
जज़्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही – ख़ुमार बाराबंकवी
ख़ुमार बाराबंकवी शायरी – ख़ुदा बचाए तिरी मस्त मस्त
ख़ुदा बचाए तिरी मस्त मस्त आँखों से
फ़रिश्ता हो तो बहक जाए आदमी क्या है – ख़ुमार बाराबंकवी
ख़ुमार बाराबंकवी शायरी – इलाही मेरे दोस्त हो खेरियत
इलाही मेरे दोस्त हो खेरियत से
ये क्या घर में पत्थर नही आ रहे हैं – ख़ुमार बाराबंकवी
ख़ुमार बाराबंकवी शायरी – हैरत है तुम को देख
हैरत है तुम को देख के मस्जिद में ऐ ‘ख़ुमार’
क्या बात हो गई जो ख़ुदा याद आ गया – ख़ुमार बाराबंकवी
ख़ुमार बाराबंकवी शायरी – ये मिसरा नहीं है वज़ीफा
ये मिसरा नहीं है वज़ीफा मेरा है
खुदा है मुहब्बत, मुहब्बत खुदा है – ख़ुमार बाराबंकवी
ख़ुमार बाराबंकवी शायरी – इस सलीक़े से उनसे गिला
इस सलीक़े से उनसे गिला कीजिए
जब गिला कीजिए, हँस दिया कीजिए – ख़ुमार बाराबंकवी