ख़ुमार बाराबंकवी शायरी – गमे- दुनिया ने हमें जब

गमे- दुनिया ने हमें जब कभी नाशाद किया,
ऐ गमे-दोस्त तुझे हमने बहुत याद किया। – ख़ुमार बाराबंकवी

ख़ुमार बाराबंकवी शायरी – हम रहे मुब्तला-ऐ-दैर-ओ-हरम

हम रहे मुब्तला-ऐ-दैर-ओ-हरम
वो दबे पाँव दिल में आ बैठे

उठ के इक बेवफ़ा ने दे दी जान
रह गए सारे बावफ़ा बैठे – ख़ुमार बाराबंकवी

ख़ुमार बाराबंकवी शायरी – इलाही मेरे दोस्त हो खेरियत

इलाही मेरे दोस्त हो खेरियत से
ये क्या घर में पत्थर नही आ रहे हैं – ख़ुमार बाराबंकवी

ख़ुमार बाराबंकवी शायरी – ये मिसरा नहीं है वज़ीफा

ये मिसरा नहीं है वज़ीफा मेरा है
खुदा है मुहब्बत, मुहब्बत खुदा है – ख़ुमार बाराबंकवी