ख़्वाहिशें तोड़ न डालें तिरे सीने का क़फ़स
इतने शह-ज़ोर परिंदों को गिरफ़्तार न रख – इरफ़ान सिद्दीक़ी
Category: इरफ़ान सिद्दीक़ी शायरी
इरफ़ान सिद्दीक़ी शायरी – वो थकन है कि बदन
वो थकन है कि बदन रेत की दीवार सा है
दुश्मन-ए-जाँ है वो पछुआ हो कि पुर्वाई हो – इरफ़ान सिद्दीक़ी
इरफ़ान सिद्दीक़ी शायरी – हवा गुलाब को छू कर
हवा गुलाब को छू कर गुज़रती रहती है
सो मैं भी इतना गुनहगार रहना चाहता हूँ – इरफ़ान सिद्दीक़ी
इरफ़ान सिद्दीक़ी शायरी – मेरे होने में किसी तौर
मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ
तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ – इरफ़ान सिद्दीक़ी
इरफ़ान सिद्दीक़ी शायरी – उस को मंज़ूर नहीं है
उस को मंज़ूर नहीं है मिरी गुमराही भी
और मुझे राह पे लाना भी नहीं चाहता है – इरफ़ान सिद्दीक़ी
इरफ़ान सिद्दीक़ी शायरी – कहा था तुम ने कि
कहा था तुम ने कि लाता है कौन इश्क़ की ताब
सो हम जवाब तुम्हारे सवाल ही के तो हैं! – इरफ़ान सिद्दीक़ी
इरफ़ान सिद्दीक़ी शायरी – उदास ख़ुश्क लबों पर लरज़
उदास ख़ुश्क लबों पर लरज़ रहा होगा
वो एक बोसा जो अब तक मिरी जबीं पे नहीं – इरफ़ान सिद्दीक़ी
इरफ़ान सिद्दीक़ी शायरी – सब को निशाना करते करते
सब को निशाना करते करते
ख़ुद को मार गिराया हम ने – इरफ़ान सिद्दीक़ी
इरफ़ान सिद्दीक़ी शायरी – हवा की ज़द पे हमारा
हवा की ज़द पे हमारा सफ़र है कितनी देर
चराग़ हम किसी शाम-ए-ज़वाल ही के तो हैं – इरफ़ान सिद्दीक़ी
इरफ़ान सिद्दीक़ी शायरी – रूप की धूप कहाँ जाती
रूप की धूप कहाँ जाती है मालूम नहीं
शाम किस तरह उतर आती है रुख़्सारों पर – इरफ़ान सिद्दीक़ी