खिलौनों की दुकानों की तरफ़ से आप क्यूँ गुज़रे
ये बच्चे की तमन्ना है ये समझौता नहीं करती
मुनव्वर राना
———>Bachche Shayari In Hindi<————
खिलौनों की दुकानो रास्ता दो
मिरे बच्चे गुज़रना चाहते हैं
अज्ञात
———>Bachche Shayari In Hindi<————
खिलौनों के लिए बच्चे अभी तक जागते होंगे
तुझे ऐ मुफ़्लिसी कोई बहाना ढूँड लेना है
मुनव्वर राना
———>बच्चों पर शायरी<————
ख़्वाहिशें दिल में मचल कर यूँही सो जाती हैं
जैसे अँगनाई में रोता हुआ बच्चा कोई
इशरत आफ़रीं