फिराक गोरखपुरी शायरी – न कोई वादा न यकीन

न कोई वादा न यकीन न उम्मीद
मगर हमने तो इंतजार करना था – फिराक गोरखपुरी

फिराक गोरखपुरी शायरी – कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया

कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम
उस निगाह-ए-आशना को क्या समझ बैठे थे हम – फिराक गोरखपुरी

फिराक गोरखपुरी शायरी – मजहब कोई लौटा ले

मजहब कोई लौटा ले, और उसकी जगह दे दे,
तहजीब करीने की, इंसान सलीके के ! – फिराक गोरखपुरी

फिराक गोरखपुरी शायरी – अपना गम किस तरह से

अपना गम किस तरह से बयान करूँ,
आग लग जायेगी इस जमाने में – फिराक गोरखपुरी