जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तुजू क्या है – मिर्ज़ा ग़ालिब
Category: दर्द भरी शायरी
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त
इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर
इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के – मिर्ज़ा ग़ालिब
बहादुर शाह ज़फ़र शायरी – बात करनी मुझे मुश्किल कभी
बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी।
जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी। – बहादुर शाह ज़फ़र
माधव राम जौहर शायरी – अब इत्र भी मलो तो
अब इत्र भी मलो तो तकल्लुफ़ की बू कहाँ
वो दिन हवा हुए जो पसीना गुलाब था – माधव राम जौहर
माधव राम जौहर शायरी – किस तरफ़ आए किधर भूल
किस तरफ़ आए, किधर भूल पड़े, ख़ैर तो है
आज क्या था, जो तुम्हें याद हमारी आई – माधव राम जौहर
माधव राम जौहर शायरी – बज़्म में ग़ैर से करते
बज़्म में ग़ैर से करते हो इशारा छुपकर
आँखें नीची करो ऐसा नहीं अंधा कोई – माधव राम जौहर
माधव राम जौहर शायरी – ग़ैरों से तो फ़ुर्सत तुम्हें
ग़ैरों से तो फ़ुर्सत तुम्हें दिन रात नहीं है हाँ
मेरे लिए वक़्त-ए- मुलाक़ात नहीं है – माधव राम जौहर
मोमिन ख़ाँ मोमिन शायरी – ऐ आरज़ू-ए-क़त्ल ज़रा दिल को
ऐ आरज़ू-ए-क़त्ल ज़रा दिल को थामना
मुश्किल पड़ा मिरा मिरे क़ातिल को थामना – मोमिन ख़ाँ मोमिन
माधव राम जौहर शायरी – कौन होते हैं वो महफ़िल
कौन होते हैं वो महफ़िल से उठाने वाले
यूँ तो जाते भी मगर अब नहीं जाने वाले – माधव राम जौहर