उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते – बशीर बद्र
Category: बशीर बद्र शायरी
बशीर बद्र शायरी – नए दौर के नए ख़्वाब
नए दौर के नए ख़्वाब हैं नए मौसमों के गुलाब हैं
ये मोहब्बतों के चराग़ हैं इन्हें नफ़रतों की हवा न दे – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – लोग टूट जाते हैं एक
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – अजीब शख़्स है नाराज़ होके
अजीब शख़्स है नाराज़ होके हंसता है
मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – खुद को इतना भी मत
खुद को इतना भी मत बचाया कर,
बारिशें हो तो भीग जाया कर.
चाँद लाकर कोई नहीं देगा,
अपने चेहरे से जगमगाया कर. – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – काम ले कुछ हसीन होंठो
काम ले कुछ हसीन होंठो से,
बातों-बातों मे मुस्कुराया कर.
धूप मायूस लौट जाती है,
छत पे किसी बहाने आया कर. – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – परखना मत परखने में कोई
परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता
किसी भी आइने में देर तक चेहरा नहीं रहता – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – ज़िन्दगी तू मुझे पहचान न
ज़िन्दगी तू मुझे पहचान न पाई लेकिन
लोग कहते हैं कि मैं तेरा नुमाइंदा हूँ – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – मैं तमाम तारे उठा-उठा कर
मैं तमाम तारे उठा-उठा कर ग़रीबों में बाँट दूँ।
कभी एक रात वो आसमाँ का निज़ाम दे मेरे हाथ में, – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – दुआ करो कि ये पौदा
दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे
उदासियों में भी चेहरा खिला खिला ही लगे – बशीर बद्र