कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसे
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा – अहमद फ़राज़
Category: अहमद फ़राज़ शायरी
अहमद फ़राज़ शायरी – चला था ज़िक्र ज़माने की
चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का
सो आ गया है तुम्हारा ख़याल वैसे ही – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – न मंज़िलों को न हम
न मंज़िलों को न हम रहगुज़र को देखते हैं
अजब सफ़र है कि बस हम-सफ़र को देखते हैं – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – अब तो ये आरज़ू है
अब तो ये आरज़ू है कि वो ज़ख़्म खाइए
ता-ज़िंदगी ये दिल न कोई आरज़ू करे – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – ज़िंदगी से यही गिला है
ज़िंदगी से यही गिला है मुझे
तू बहुत देर से मिला है मुझे! – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – वो ख़ार ख़ार है शाख़-ए-गुलाब
वो ख़ार ख़ार है शाख़-ए-गुलाब की मानिंद
मैं ज़ख़्म ज़ख़्म हूँ फिर भी गले लगाऊँ उसे – अहमद फ़राज़
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अहमद फ़राज़ शायरी – दिल के रिश्तों कि नज़ाक़त
दिल के रिश्तों कि नज़ाक़त वो क्या जाने ‘फ़राज़’,
नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती हैं चोटें अक्सर!! – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – यूँही मौसम की अदा देख
यूँही मौसम की अदा देख के याद आया है
किस क़दर जल्द बदल जाते हैं इंसाँ जानाँ – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – दो घड़ी उस से रहो
दो घड़ी उस से रहो दूर तो यूँ लगता है
जिस तरह साया-ए-दीवार से दीवार जुदा – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं – अहमद फ़राज़