नक़्श लायलपुरी शायरी – बड़ा अजीब है अफ़साना-ए-मुहब्बत भी

बड़ा अजीब है अफ़साना-ए-मुहब्बत भी
ज़बाँ से क्या ये निगाहों से भी कहा न गया – नक़्श लायलपुरी